Monday, May 13, 2013

तुम सब हार चुके हो

प्यार
कोई बच्चों का खेल नहीं
एक धवल सी हिनहिनाहट है

जिस क्षण
तुम्हारी पात्रता सिद्ध होती है
ब्रह्मांडों के अंतराल नापती हुई
यह ठीक उसी क्षण
तुम्हारे पीछे खड़ी
अपने स्यामल होंठो

और फडफडाते नथुनों
और घने अयाल के साथ
तुम्हारी गर्दन को छू रही होती है

सकपकाते हो
आगे पीछे गति
बनाते घटाते
बचने का प्रयास करते हो

पर अब
कुछ नहीं हो सकता

तुम्हारी बगल खड़ी खनखनाहट
तुम्हें जीत का एहसास देती है

और तुम
एक झटके में
सवार हो जाते हो

तुम
सब हार चुके हो

असल में
तुम अब हो ही नहीं.
वही है.. .. ..!!

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