Wednesday, June 26, 2013
Monday, June 24, 2013
वसंत झरने लगता है बेहिसाब
प्यार चीता है यहाँ
वनदेवी का रति सुख
कभी भी कहीं से भी
कोई हिरनी का छौना कपि-मृग शावक
कोई छवि.. कोई खिलौना
इस चीते की मूछ के बाल खींच कर
इसे सम्मानित कर देता है
और इसकी गुर्राहट में
वसंत झरने लगता है बेहिसाब
ना ना ना
यहाँ से नहीं दिखता
बहुत दूर बहुत दूर
तुम्हारे भीतर है कहीं ...!!
वनदेवी का रति सुख
कभी भी कहीं से भी
कोई हिरनी का छौना कपि-मृग शावक
कोई छवि.. कोई खिलौना
इस चीते की मूछ के बाल खींच कर
इसे सम्मानित कर देता है
और इसकी गुर्राहट में
वसंत झरने लगता है बेहिसाब
ना ना ना
यहाँ से नहीं दिखता
बहुत दूर बहुत दूर
तुम्हारे भीतर है कहीं ...!!
Sunday, June 9, 2013
पिया सांवरे
जी करता है
तितली सी...
करील-करील उडती
आ जाउं तेरे पास
कण-कण भर लूँ..
तन -मन भर लूँ
सांसो में भर लूँ
पिया सांवरे
तेरे उड़ते पराग.. ..!!
तितली सी...
करील-करील उडती
आ जाउं तेरे पास
कण-कण भर लूँ..
तन -मन भर लूँ
सांसो में भर लूँ
पिया सांवरे
तेरे उड़ते पराग.. ..!!
Tuesday, June 4, 2013
असाधारण वह
साधारण सा
असाधारण वह
एक साथ कैसा कठोर
सुकोमल भी उतना ही
जीवन प्रगति
विकास का पुंज
कब कैसे
प्रीत की डोर बंधा
मेरे अंतरमन में चला आया
दुलारता मुझे
निहारता अपलक
डांटता
पुचकारता
छीलता तराशता
काटता जोड़ता
असंख्य कोणों से
थमा गया
मेरा ही मन चुपके से मुझे
सच्ची कहूं
भाव भले ही मेरे हों
शेष सब उसका है ...!!
Monday, June 3, 2013
युग से
अचानक से
कड़कती धूप मे,
चांद दिखा
हरहराते ,
चांदनी बरसाते
शीतल कर गया.. ..
एक युग से
प्यासी थी धरती.. .. .. !!
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