Wednesday, July 31, 2013

मुझे कविता लिखनी नहीं आती



मैं तो लिखती हूँ
चाही-अनचाही
इधर उधर की..
दूर-पास की बातें

भूली बिसरी
उनींदी अधजगी
गजल मुलाकातें

या फिर मन की रातें

कविता लिखनी
अभी कहाँ आती है मुझे
तुम सिखाओ ना ... .. ..!!

5 comments:

  1. :-)

    सिखा तो दी है.....
    अनु

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  2. कविता लिखनी
    अभी कहाँ आती है मुझे
    तुम सिखाओ ना ... .. ..!
    ..बहुत सुन्दर कविता तो बन जाती है बस ...

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  3. बहुत खूब सुंदर

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